Friday, March 20, 2015

All about Tantra,Mantra,yantra

दैहिक ,दैविक ,भौतिक दुःखो से आक्रान्त  इस मानव जीवन  का  अन्तिम लक्ष्य  किसी भी प्रकार से दुःखो से मुक्ति एव शान्ति प्राप्त करना है। इसके लिये पुराण तथा वेदो मे तन्त्र मन्त्र यन्त्र की साधानाओ का वर्णन है। यह तीनो अलग न होकर    दुःखो  (किसी प्रकार की बाधा जैसे विवाह मे बाधा, पत्नि पति के स्वस्थ्य होते हुये भी सन्तान की प्राप्ती मे बाधा ,नौकरी,परिवारिक  दुःख आदि )से मुक्ति प्राप्ती का एक माध्यम है किसी लक्ष्य (दैहिक ,दैविक ,भौतिक) की प्राप्ती करनी हो तो  एक या तिनो मार्ग का प्रयोग कर सकते है

दुःखो से मुक्ति के लिये  तन्त्र ,मन्त्र​,यन्त्र के द्वारा हम स्तम्भन ,उच्चाटन,मोहन,मारण जृभण,विद्वेष्ण,शान्तिक ,पौष्टिक् कर्म कर सकते है
स्तम्भन-- किसी कार्य व्यक्ति विशेष को रोक देना जैसे किसी मशीन कि गति ,सर्प की गति को,गिरता हुआ गर्भ आदि को रोका जा सकता है । .

उच्चाटन--केन्द्रित व्यक्ति जब तक स्थान परिवर्तन नही करता है तब तक रोगक्रान्त और व्यथित रहता है ।

विद्वेष्ण-- इस क्रिया के द्वारा दो व्यक्तियो के बिच टकराव होता है यदि  दो प्रेमीयो मे यह प्रयोग​ किया जाय तो वो भी आपस मे एक दुसरे से नफरत करने लगते है ।

मारण -- जिस​ क्रिया के द्वारा किसी व्यक्ति के प्राण लिये जाते है उसे मारण कर्म कहते  है

मोहन --परिवार ,समाज ,व्यक्ति विशेष पर अपना ऐसा प्रभाव उत्पन्न करना की वह आपका कार्य स्वतः करने के लिये बाध्य हो मोहन कर्म है

जृभण--  प्रयोग​ कर्ता से उसके सभी शत्रु डरने लगते है

शान्तिक-- जिससे रोग ,महामारी,भूत​,नक्षत्र आदि की बाधा का नाश  होता  है शान्तिक कर्म है

पौष्टिक -- जिससे मान् सम्मान ,यश , कीर्ति  आदि की प्राप्ती होति है वह  पौष्टिक  कर्म है

 Tantra ---तन्त्र एक शुद्ध आध्यात्मिक प्रक्रिया है, यह पराविज्ञान कि मुलाधार है । तन्त्र माता पार्वती और भगवान शंकर का संवाद है यह असत्य नही है भगवान शंकर ने स्वयं कहा है की तन्त्र ग्रन्थो के उन्पन्न कर्ता वह  स्वयं  है
"तन्त्राणि बहुधोक्तानि नानाख्यानान्वितानि च ।
सिध्दानां  साधकानां च विद्यानानि च भूरिशः॥"(म​.नि.त​)
प्रकृति के प्रत्येक औषधि मे ईश्वर की शक्ति समहित है और उसे प्रिय भी है विशेष तिथि ,वार ,नक्षत्र ,मुहुर्त ,योग
 मे प्रकृति की शक्ति को पहचान कर कार्य को सिध्द करना ही तन्त्र है । जो की सरल और सुगम है तान्त्रिक सामान जैसे हत्था जोड़ी,गोमति चक्र ,बिल्ब पत्र,चमेली का तेल आदि के द्वारा मनोकामना पुर्ण करना तान्त्रिक क्रिया है आवश्यकता होती है सही समय और औषधि की जो कि आपको एक तान्त्रिक ही बता सकता है ।

मन्त्र--- "म" का  अर्थ होता है मनन करना या विचार करना ,"त्र" का अर्थ है बोध करना या रक्षण करना अर्थात जिस अक्षर या शब्द के विचार या मनन से कार्य कि  सिध्दि होती है उसे मन्त्र कहते है । मन्त्र की नीव मन की शुध्दता पर निर्भर करता है ।. प्रत्येक मन्त्र प्रत्येक व्यक्ति के लिये नही होते कुछ सिद्धि देते है तो कुछ हानि पहुचा सकते है ।
प्रत्येक व्यक्ति कि कुन्डली के अनुसार अपने ईष्ट देव  है ।तथा काम्य प्रयोजन के अनुसार उनके अलग अलग मन्त्र किस मन्त्र के द्वारा किस कार्य की सिध्दि होगी  इसका मन्त्र शास्त्र मे विस्त्रित विवेचन है अतः मन्त्र शास्त्र के अनुसार मन्त्र का निर्णय लेने चाहिये तभी सफलता मिलेगी ।.

यन्त्र​-- यन्त्र का अर्थ है मशीन ,जिससे हमारे कार्य आसनी से होते है तथा हमे भौतिक सुख कि प्राप्ती होती है परन्तु आध्यात्म मे, यन्त्र देव और शक्तियो के भवन का सुचक है जिसमे देव  विद्यमान रहते है ,भिन्न प्रकार के द्रव्य ,लेखनी आदि से ​, भोजपत्र ,स्वर्ण ,रजत्, ताम्र आदि धातु  पर अष्टदल,शतदल,चतुष्कोण,त्रिकोण,आदि बनाकर यन्त्र और अक्षरो से पुर्ण कर प्राणप्रतिष्ठा  करने करने पर सिद्ध यन्त्र की प्राप्ती होती है । जिससे कि व्यक्ति कि मनो कामना पुर्ण होती है
 जन्म का विवरण न होने पर आप तन्त्र ,मन्त्र ,यन्त्र के द्वारा अपनी समस्या का समाधान​ जान सकते है ,

तन्त्र​--

समस्या---
·      आपका साथी  दुसरे साथी से सम्बन्ध बनाता हो   तो उससे मुक्ति के लिये
·       नौकरी प्राप्ति
·      आप नौकरी मे हो आप पर गलत चार्ज सीट दायर हो गया हो ।
·      छोटा या बड़ा अधिकारी आपको परेशान कर रहा
·      पढ़ाई मे मन नही लगता हो ।
·      पति पत्नि के मध्य मे कलह हो ।
·      स्त्रियो के रोग
·      पुरुषो के रोग​
·      सन्तान होने के बाद मर जाती हो ।
·      गर्भ मे मर जाती हो
·      दिर्घायु सन्तान प्राप्ति के लिये
·      नजर दोष के लिये
·      सन्तान की बिमारी के लिये
·      व्यवसाय मे बाधा
·      लड़का स्कूल न जाता हो
·      Others (आपको तन्त्र मन्त्र यन्त्र जो भी उचित होगा आपको वही बताया जायेगा)
मन्त्र​—
·      शादि के लिये
·      नौकरी के लिये
·      भूत प्रेत से मुक्ति के लिये
·      कुशाग्र बुध्दि के लिये
·      सन्तान प्राप्ति के लिये
·      मस्तिष्क पिड़ा के लिये
·      Others (आपको तन्त्र मन्त्र यन्त्र जो भी उचित होगा आपको वही बताया जायेगा)
यन्त्र—
·      पुत्र प्राप्ति
·      कार्य सिद्धि के लिये
·      विवाह के लिये (शुक्र ,गुरु  ,१५ ) क यन्त्र
·      गृह दोष  निवरण
·      दुर्घटना नाशक यन्त्र Etc.
·      Others (आपको तन्त्र मन्त्र यन्त्र जो भी उचित होगा आपको वही बताया जायेगा)



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