Wednesday, April 21, 2010

मंगली योग (1sth house)

मंगल को यूद्ध का देवता कहा गया है और यह पुलिश और आर्मी जैसे  कार्यो में शुभ फल के दाता  है पर एक साधारण जिंदगी में वैवाहिक जीवन में वर वधु की कुंडली    में 1,4,7,8,12 में होने  से पारिवारिक  जीवन कलह  पूर्ण  कर  देता   है अब  हम   कुंडली   की प्रथम भाव में मंगल की उपस्थिति  के विषय  में बताते  है1- यदि  मंगल प्रथम   भाव  में है तो  उसकी दृष्टी  सप्तम  पर भी  होगी  और  जातक की जिंदगी में उत्तेजना आवेश भर  देगा  जिससे  जातक  भोगी हो जायेगा  और क्रूर भी , और  में एक क्रूर होगा तो परेशानी तो होगी ही  जिंदगी में |मंगल  की दृष्टी चतुर्थ में होने से जातक भूमि भवन  के सुखा से हीन हो जाता है  और कई  बार गलत निर्णय लेने के कारण पक्चातायेगा  और लोगो   के बिच  आदर  का पात्र नहीं हो पायेगा   और पति पत्नी के बिच मत भेद होने के कारण उसका गृहथ  जीवन कष्टमय हो जाता है |
 यदि प्रथम भाव में मकर में मंगल हो तो जातक कलाकार और विद्वान होता है
तुला राशी में हो प्रथम भाव में हो  तो दांपत्य जीवन सुखी होता है |

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